८८.दर्द
जय श्री कृष्णा
बहुत हुआ सब ,
अब और नहीं ।
जिंदगी दर्द है
तो दर्द ही सही ।
क्यों करें किसी
और से उम्मीद ,
दामन में हमारे
कांटे है गर
तो वो भी सही ।
मित्रता का लेकर,
बहाना चल दिये,
पथ पर अगर ।
दुश्मनी मिली ,
तो वो भी सही ।
नहीं समझ पाते
अपने भी मजबूरी,
तुम भी न समझो
कोई गम नहीं ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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