६३,कुछ यूँ ही
छोड़ दिया सबने अकेला ,
जानते थे मज़बूत है ।
हासिल है प्यार आपका ,
सिर्फ यही मेरा वजूद है ।
जानते थे मज़बूत है ।
हासिल है प्यार आपका ,
सिर्फ यही मेरा वजूद है ।
हम जिसको प्यार करते हैं
उसे रुला कैसे सकते हैं ।
दुख में सिर्फ अपनों की याद आती है या
उनसे भी दूरी बना ली जाती है ।
बहुत असमंजस है ।
प्रेम की भावना एक जीवित व्यक्ति के जीने का संबल बनती है
और नफरत उसे जीते जी मार देती है ।
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