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Wednesday 13 December 2017

          १७३ .नीरज जी से एक मुलाक़ात 10 dec 2017

जय श्री कृष्णा मित्रो ,आज मेरी वर्षों पुरानी तमन्ना पूरी हुई ।हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार ,पदम श्री ,पदम भूषण और फ़िल्मफ़ेयर पुरुस्कार से सम्मानित सर (श्री गोपालदास नीरज सक्सेना, जो धर्म समाज डिग्री कॉलेज अलीगढ़ में प्रोफेसर भी रह चुके हैं) ,से जब मैं मिली तो उनका सहज सरल व्यक्तित्व देखकर दंग रह गयी ।उनसे मिलने से पहले दिल में उनको लेकर काफी सवाल थे ,लेकिन उनको सामने देखकर मैं निरुत्तर रह गयी ।
जब मैंने उनको अपनी किताबें ,"यही है जिंदगी ,एकल काव्य संग्रह और संदल सुगंध ,साझा संकलन भेंट की ,तो उन्होंने मुझे आशीर्वाद भी दिया और कविता सुनाने को कहा ।आशीर्वाद स्वरूप जो उन्होंने मुझसे कहा उसे सुनकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा ।मेरे गुरु जी का आशीर्वाद मुझे याद आ गया ।सर ने मुझे जन्मजात कवियत्री और दिल की गहराइयों से लिखने वाली कवियत्री कहा ।ये शब्द जैसे मेरे दिल में उतर गए ।नीरज जी ,सर ने मुझे आगे होने वाले कवि सम्मेलन में बुलाने के लिए भी कहा ।मुझ जैसी कवियत्री के लिए ये बहुत ही सौभाग्य और खुशी की बात है कि मैं इतने महान व्यक्तित्व से रूबरू हो सकी ।नीरज जी के लिए मेरे लिए कुछ कहना आसान तो नहीं लेकिन दिल से उनका बहुत बहुत आभार प्रकट करती हूँ ।चंद पंक्तियाँ आदरणीय नीरज जी के सम्मान में ,,
"वो मिले हमसे कुछ इस अंदाज में ,
दिल भी खो गया उनके आगाज में !





अहंकार दूर दूर तक नजर नहीं आया ,
यूँ लगा दिल को........ मिल गया हो
जैसे सदियों का प्यार एक ही क्षण में!"

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