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Monday 18 December 2017

                                     १९४ ,लेख 

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अपनी कमजोरियों पर काबू न रख पाना ही अवसाद को जन्म देता है । किसी वस्तु या व्यक्ति को जिद की हद तक प्राप्त कर लेना ही जब उद्देश्य बन जाता है ,वहीं से अवसाद का जन्म होता है । परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेना ही सामंजस्य कहलाता है । जरूरी तो नहीं कि आप जैसा सोचते हैं ,दूसरों की विचारधारा भी आपकी सोच से मिलती हो । हर व्यक्ति के जन्म स्थान ,परिस्थितियों ,पालन पोषण में अंतर होता है । जब हम स्वयम ही अपने बच्चों को एक जैसा माहौल नही दे सकते ,फिर दूसरों से ऐसी उम्मीद करना ही व्यर्थ है । आजकल प्यार ,फरेब ,धोखा फिर आत्महत्या ये सब सामान्य दिखाई देता है ,लेकिन इन बातों को झेलने वाला इतना ज्यादा डिप्रेस होता है कि वो अपना अच्छा बुरा समझने में सक्षम नही होता और गलत दिशा में कदम रख देता है । आजकल के एकाकी परिवार ,बच्चों का दूर रहना ,आधुनिक जीवन शैली कहीं न कहीं हर दूसरे व्यक्ति को डिप्रेस कर रही है । जिस समय बच्चों को प्यार की अति आवश्यकता होती है ,उस समय माता पिता दोनों ही खुद में व्यस्त होते हैं । बढ़ती हुई उम्र के बच्चों को ज्यादा ध्यान की जरूरत होती है । प्यार का न मिलना ही डिप्रेशन को बढ़ावा देता है और आत्महत्या की सोच को भी ।जिंदगी में सब कुछ जरूरी है ,लेकिन प्यार हर व्यक्ति की प्राथमिकता है ।

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