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Friday, 22 July 2016

                                         ५५.जज्बात 

मत खेलो किसी के जज्बातों से 

कहीं तुम्हे रोना न पड़े 

मत करो किसी से प्यार इतना 

कहीं तुम्हें खोना न पड़े 

मत खेलो किसी की जुल्फों से

कहीं उलझना न पड़े 

जिंदगी के रास्तों पर भीड़ है भारी
 
नहीं है पता जिंदगी में एक पल का 

कर लो तौबा बुरे कर्मों से

क्या पता कब जिंदगी को छोड़ना पड़े !!

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