५५.जज्बात
मत खेलो किसी के जज्बातों से
कहीं तुम्हे रोना न पड़े
मत करो किसी से प्यार इतना
कहीं तुम्हें खोना न पड़े
मत खेलो किसी की जुल्फों से
कहीं उलझना न पड़े
जिंदगी के रास्तों पर भीड़ है भारी
नहीं है पता जिंदगी में एक पल का
कर लो तौबा बुरे कर्मों से
क्या पता कब जिंदगी को छोड़ना पड़े !!
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