जीवन से हारकर कोई कैसे जी सकता है ?क्या कोई अपनी आत्मा के बिना ज़िंदा रह सकता है ?नामुमकिन ,लेकिन आजकल शायद सभी खुद से भाग रहे रहे हैं ।न जीने की चाह है न खुशियों की इबादत ,बस चले जा रहे हैं जैसे कन्धों पर एक अनचाहा बोझ उठाये ।
प्यार जो जीवन की सर्वप्रथम जरूरत है ,आज आधुनिकता की दौड़ में वो पीछे छूट चुका है ।सुबह उठे तो हाथ में मोबाइल ,रात को आये तो मोबाइल ।लगता है जिंदगी ,जिंदगी नहीं जैसे एक युद्घ का मैदान है । न हंसना न बोलना ,न खिलखिलाहट ,न मस्ती ,न बेबजह हंसना । हम क्यों जी रहे हैं और किसके लिए ?क्या कभी एकांत में बैठकर द्रुत गति से भाग रहे समय के बारे में सोचा है । सारी उम्र व्यक्ति 1 के 2 करने में ही गुजार देता है । कभी अपने बारे में सोचने का टाइम ही नहीं । क्या उम्र बीत जाने के बाद आप अपने मन का खा सकते हो ?क्या भगवान् की दी हुई जिंदगी को फिर से प्राप्त कर सकते हो ?नहीं न तो फिर देर क्यों और किसके लिए ?आइये आज से ही प्रण करें खुद भी खुश रहेंगे और भगवान् के दुखी ,पराश्रित ,अनाथ बच्चों की मदद करने की भी सोचेंगे ।ज्यादा नहीं तो खुद से जितना प्रयास हो सकेगा जरूर करेंगे ।
ये मेरी सोच है किसी पर कोई जोर नहीं ।
जय श्री कृष्णा ।।
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versha varshney {यही है जिंदगी } जय श्री कृष्णा मित्रो, यही है जिंदगी में मैंने मेरे और आपके कुछ मनोभावों का चित्रण करने की छोटी सी कोशिश की है ! हमारी जिंदगी में दिन प्रतिदिन कुछ ऐसा घटित होता है जिससे हम विचलित हो जाते हैं और उस अद्रश्य शक्ति को पुकारने लगते हैं ! हमारे और आपके दिल की आवाज ही परमात्मा की आवाज है ,जो हमें सबसे प्रेम करना सिखाती है ! Bec Love iS life and Life is God .
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Monday, 29 August 2016
७९. समाज ,
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