८० स्पर्श
तुम्हारे कठोर हाथों का स्पर्श ,
धरा को मजबूत बनाता है ।।
रत्ती भर खाद प्यार की ,
बीजों को पनपने का
मजबूत सहारा बन जाता है।
हवा पानी मूल हैं जड़ों की ,
नमी जीने का सबब सिखलाता है ।
यकीन ना हो तो जरा
प्यार से मिट्टी को सहला लेना ,
पतझड़ में भी फूल पनप जाता है ।
धरा को मजबूत बनाता है ।।
रत्ती भर खाद प्यार की ,
बीजों को पनपने का
मजबूत सहारा बन जाता है।
हवा पानी मूल हैं जड़ों की ,
नमी जीने का सबब सिखलाता है ।
यकीन ना हो तो जरा
प्यार से मिट्टी को सहला लेना ,
पतझड़ में भी फूल पनप जाता है ।