७६.माँ
विद्या हमें ज्ञान देती है इस तथ्य को सभी जानते हैं फिर भी आज के इस पड़े लिखे समाज में एक पिता के मरने के बाद क्या एक माँ अछूत हो जाती है ।क्या वो माँ नहीं रहती ।क्या उसका स्थान माँ से हटकर कुछ और हो जाता है । आज भी समाज में ये मान्यता क्यों है की एक विधवा के हाथ लगाने से कुछ अशुभ हो जायेगा । ये धारणा भी समाज में कुछ पाखण्ड में यकीं रखने बाले लोगों के द्वारा ही फैलाई हुई है ।पढ़ लिखकर भी यदि हम इन धारणाओं से दूर न हो सके तो हमारा पढ़ना लिखना व्यर्थ है ।मेरी आप सभी मित्रों से प्रार्थना है की एक माँ के दर्द को समझें ।माँ ,हमेशा एक माँ ही रहती है चाहे वो सुहागन हो या विधवा । माँ का स्थान कभी नहीं बदल सकता ।बहुत दुःख होता है जब पढ़े लिखे लोगों को ऐसा करते हुए देखती हूँ की जिस माँ ने आपको बड़ा किया उसके विधवा होने पर समाज के साथ साथ उसके परिवार बाले भी उसे उचित सम्मान नहीं देते ।
|
No comments:
Post a Comment