६९ ,श्रधांजलि
शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि
😢
देश में हर जगह क्यों मर रहे हैं नौजवान ,
गोलियां खाकर भी क्यों हंस रहे हैं नौजवान ।
देश की सेवा का है जज्वा कूट कूट कर है भरा ,
भूलकर अपना चमन क्यों हो रहे हैं वो फिदा ।
देश सेवा ही है उनमें आखिरी दम तक भरा ।
देखकर मासूम} बेटे का कफन ,रो रहा है काफिला ।
कैसा है ये दर्द जो दे गए परिवार को ,
आज बेटी रो रही है एक पिता के प्यार को ।
कब तक जलेगी ये होली देश के नाम पर
कब तलक मिटते रहेंगे वो शहीद देश की आन पर ।
बंद कर दो अब ये खेल काश्मीर के नाम पर ,
वरना रह जाएंगे अकेले नौनिहाल शांति के नाम पर ।
बहुत हुआ अब खेल ये कुछ तो हमको करना होगा ,
गर है देश सेवा का जज्बा दुश्मनों को भगाना होगा ।
क्यों बंद हैं आंखें तुम्हारी ओ देश के रखवालों,
कुछ तो सोचो उन मासूमों की जो देश पर मिट गए ,
कर सकते हो सब कुछ गर आज तुम भी ठान लो ,
छोड़ दो राजगद्दी को या कुछ नया तुम फैसला लो ।
छोड़ दो राजगद्दी को या कुछ नया तुम फैसला लो ।
जय हिंद ,जय भारत
वर्षा वार्ष्णेय} अलीगढ़

देश में हर जगह क्यों मर रहे हैं नौजवान ,
गोलियां खाकर भी क्यों हंस रहे हैं नौजवान ।
देश की सेवा का है जज्वा कूट कूट कर है भरा ,
भूलकर अपना चमन क्यों हो रहे हैं वो फिदा ।
देश सेवा ही है उनमें आखिरी दम तक भरा ।
देखकर मासूम} बेटे का कफन ,रो रहा है काफिला ।
कैसा है ये दर्द जो दे गए परिवार को ,
आज बेटी रो रही है एक पिता के प्यार को ।
कब तक जलेगी ये होली देश के नाम पर
कब तलक मिटते रहेंगे वो शहीद देश की आन पर ।
बंद कर दो अब ये खेल काश्मीर के नाम पर ,
वरना रह जाएंगे अकेले नौनिहाल शांति के नाम पर ।
बहुत हुआ अब खेल ये कुछ तो हमको करना होगा ,
गर है देश सेवा का जज्बा दुश्मनों को भगाना होगा ।
क्यों बंद हैं आंखें तुम्हारी ओ देश के रखवालों,
कुछ तो सोचो उन मासूमों की जो देश पर मिट गए ,
कर सकते हो सब कुछ गर आज तुम भी ठान लो ,
छोड़ दो राजगद्दी को या कुछ नया तुम फैसला लो ।
छोड़ दो राजगद्दी को या कुछ नया तुम फैसला लो ।
जय हिंद ,जय भारत
वर्षा वार्ष्णेय} अलीगढ़
No comments:
Post a Comment