२०,सवाल
Jai shree krishna have a nice day
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अक्सर छोटे छोटे सवाल हमें बड़ी उलझन में डाल देते हैं ।रोजमर्रा की जिंदगी में काफी सवाल जो मन को विचलित कर जाते हैं ,जैसे कि हम किसी के लिए अपने साइड से कितना भी अच्छा करने की कोशिश करें ,फिर भी बदनामी ही मिलती है ।ये सभी जानते हैं कि हानि लाभ ,यश अपयश ,सब विधि के हाथ है ।यदि सब विधि के ही हाथ है तो फिर जीवन क्या है ?सिर्फ कर्मों का फल ?जो किया है वो जरूर भोगना पड़ेगा ,ये भी सच है ।फिर जिंदगी सिर्फ कर्म पर ही आधारित है ।ईश्वर सब कुछ देखता है ,फिर अन्याय क्यों ?भगवद्गीता ,सारे पुराण भी कर्म को ही महान बताते हैं लेकिन कर्म करने के बाद भी खुशी की प्राप्ति क्यों नहीं ?जितना पढ़ते हैं उतने ही प्रश्न तैयार ।अतीत को भूल जाओ ,आज को याद रखो ।क्या अतीत हमारे वर्तमान को प्रभावित नहीं करता ?ऐसे ही अनगिनत सवाल हैं जो मन को व्यथित कर जाते हैं ।जब हमारे हाथ मे कुछ नहीं होता तो हम सभी अपने मन को यही कहकर समझा लेते हैं जो हुआ अच्छे के लिए हुए ,जो हो रहा है उसमें भी कुछ अच्छाई होगी ।हम सभी इस रंगशाला के पात्र हैं और निर्देशक सिर्फ भगवान । उसके घर देर है अंधेर नहीं ।दुनिया में हम सभी के जीने का सिर्फ एक ही सहारा है और वो है आस्था और विश्वास । चलिए फिर चलते हैं सारे सवालों को छोड़कर उसी आस्था के साथ ,जय श्री कृष्णा जय महाकाल ।
☺️
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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अक्सर छोटे छोटे सवाल हमें बड़ी उलझन में डाल देते हैं ।रोजमर्रा की जिंदगी में काफी सवाल जो मन को विचलित कर जाते हैं ,जैसे कि हम किसी के लिए अपने साइड से कितना भी अच्छा करने की कोशिश करें ,फिर भी बदनामी ही मिलती है ।ये सभी जानते हैं कि हानि लाभ ,यश अपयश ,सब विधि के हाथ है ।यदि सब विधि के ही हाथ है तो फिर जीवन क्या है ?सिर्फ कर्मों का फल ?जो किया है वो जरूर भोगना पड़ेगा ,ये भी सच है ।फिर जिंदगी सिर्फ कर्म पर ही आधारित है ।ईश्वर सब कुछ देखता है ,फिर अन्याय क्यों ?भगवद्गीता ,सारे पुराण भी कर्म को ही महान बताते हैं लेकिन कर्म करने के बाद भी खुशी की प्राप्ति क्यों नहीं ?जितना पढ़ते हैं उतने ही प्रश्न तैयार ।अतीत को भूल जाओ ,आज को याद रखो ।क्या अतीत हमारे वर्तमान को प्रभावित नहीं करता ?ऐसे ही अनगिनत सवाल हैं जो मन को व्यथित कर जाते हैं ।जब हमारे हाथ मे कुछ नहीं होता तो हम सभी अपने मन को यही कहकर समझा लेते हैं जो हुआ अच्छे के लिए हुए ,जो हो रहा है उसमें भी कुछ अच्छाई होगी ।हम सभी इस रंगशाला के पात्र हैं और निर्देशक सिर्फ भगवान । उसके घर देर है अंधेर नहीं ।दुनिया में हम सभी के जीने का सिर्फ एक ही सहारा है और वो है आस्था और विश्वास । चलिए फिर चलते हैं सारे सवालों को छोड़कर उसी आस्था के साथ ,जय श्री कृष्णा जय महाकाल ।
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वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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