८,प्रयास पत्रिका
जय श्री कृष्णा मित्रो ,कनाडा की अंतरराष्ट्रीय ई मासिक पत्रिका "प्रयास "में ।आभार prayas patrika .जनवरी
"जीना सीख लिया तुमने बिन मेरे ,यही थी शायद वक़्त की मर्जी ,
खोज रही हैं आज भी नजरें मेरी ,भूल हुए सवालों की पर्ची ।
तेरी मर्जी मेरी मर्जी ,हम दोनों की एक ही मर्जी ।
मिल जाएं आशिकों को उनकी मंजिल ,रब से है अब यही अर्जी ।"
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
"जीना सीख लिया तुमने बिन मेरे ,यही थी शायद वक़्त की मर्जी ,
खोज रही हैं आज भी नजरें मेरी ,भूल हुए सवालों की पर्ची ।
तेरी मर्जी मेरी मर्जी ,हम दोनों की एक ही मर्जी ।
मिल जाएं आशिकों को उनकी मंजिल ,रब से है अब यही अर्जी ।"
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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