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Thursday 7 July 2016

                                ४७.अभिभावक् और बच्चे  

कुछ दिनों पहले राजस्थान के कोटा शहर में एक लड़की नेआत्महत्या कर ली जबकि उसने अत्यंत कठिन मानी जाने वाली परीक्षा जेईई को क्लियर कर लिया था,मगर उसे आने वाले चार वर्ष तक जिन विषयों को पढ़ना पढता, उनमें उसकी कोई रूचि नहीं थी! वह मेडिकल की पढाई करना चाहती थी !यानी उसने जेईई का एग्जाम अपने पेरेंट्स के कहने परदिया ,लेकिन खुदको समाप्त कर लिया ! यहाँ एक ही प्रश्न उठता है कि क्या अपने बच्चों को उनकी इच्छा के विरुद्ध विषय दिलाना ठीक है? जिस विषय में बच्चे की रूचि ही नहीं क्या वोउसमें कुछअच्छा कर पायेगा? कई बार पेरेंट्स अपनी इच्छा बच्चों के ऊपर लाद देते है कि हम जो नहीं कर पाए तुम करो! क्याआज के समय में ये ठीक है?कृपया बच्चों का मनोविज्ञान समझें औरउनकी मदद करें! बच्चों परअत्यधिक दबाब न डालकर उनका उचित मार्गदर्शन करें न कि दूसरों की होड़ करें!हर बच्चाअलग होता है फिर आप किसी दूसरे बच्चे से उसकी बराबरी कैसे कर सकते हैं!कैरियर कोई भी बुरा नहीं! हाँ यदि आपका बच्चा होशियार है तो वो जरूर कुछ बनकर निकलेगा ! आपका सकारात्मक रवैया ही उसके भविष्य को सही राह दे सकता है!कृपया दूसरों से अपने बच्चे की तुलना न करें!!
                                                                                 

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