![versha varshney {यही है जिंदगी }](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhaHH9c2DUn77ljN47jKe5wMJTbXZ5hUEB5JGV-K2K1_fS6jI8mplFVk4oomCVEGVHJtH22yij5EQQ42ul8HrMjyQU5msHA1CaXRuuzQfdI9i4zRppXslIti0YV4Dqcai9_QRzqcvdDlAff/s960/IMG_20170630_122227.jpg)
versha varshney {यही है जिंदगी } जय श्री कृष्णा मित्रो, यही है जिंदगी में मैंने मेरे और आपके कुछ मनोभावों का चित्रण करने की छोटी सी कोशिश की है ! हमारी जिंदगी में दिन प्रतिदिन कुछ ऐसा घटित होता है जिससे हम विचलित हो जाते हैं और उस अद्रश्य शक्ति को पुकारने लगते हैं ! हमारे और आपके दिल की आवाज ही परमात्मा की आवाज है ,जो हमें सबसे प्रेम करना सिखाती है ! Bec Love iS life and Life is God .
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Saturday, 30 December 2017
२०३,
हर दिन दौर बदलता है वर्षा वार्ष्णेय
http://www.badaunexpress.com/badaun-plus/z-2286/
प्यार जिंदगी का वो अटूट हिस्सा है जो हमें जीने की राह दिखाता है ! प्यार के बिना जिंदगी का कोई वजूद ही नहीं ! जन्म से मृत्यु पर्यंत प्यार अनेक रूप में हमें आगे बढ़ने कि प्रेरणा देता है ! लेकिन आज इस भागमभाग के दौर में प्यार एक गौड़ वस्तु बनकर रह गया है ! प्यार की वैल्यू आज सिर्फ पैसों से आंकी जाती है !प्यार का मतलब भी आजकल सिर्फ सेक्स ही रह गया है । ऐसा प्यार सिर्फ चंद दिनों का मेहमान होता है । प्यार की गहराई में जाने का आज किसके पास समय है ! प्यार के बिना सिर्फ एक खेल या बलात्कार ही हो सकता है । किसी का निस्वार्थ प्यार हमारा आत्मसम्मान बढ़ाता है। लगता है जैसे हमारे पास सब कुछ है । हमसे ज्यादा धनी कोई नही दुनिया में । क्या पैसों से प्यार को खरीद सकते हैं? नहीं ,कभी नहीं । किसी की छोटी छोटी बातें दिल में गहरी जगह बना लेती हैं। एक छोटा सा फूल भी वो खुशी दे जाता है ,जो लाखों का हार भी नहीं दे सकता । हमारी छोटी-छोटी बातों की फिक्र हमें सामने वाले व्यक्ति को हमेशा के लिए अपना बना लेती हैं । घर से निकलते वक्त यदि हस्बैंड एक छोटा सा आलिंगन भी करके जाए, तो पत्नी पूरा दिन उसमें भी खुश रह सकती है । ये नही कहती कि ऐसी सोच सभी की हो ,लेकिन मेरी सोच तो सिर्फ यही है । मेरी प्रोफाइल का जो main quotation है वो सिर्फ और सिर्फ प्यार ही है । प्यार के बिना कोई कैसे जिंदा रह सकता है । कोई जरूरी नही कि वो प्यार शारीरिक हो । लेकिन दूर रहकर भी प्यार को फील किया जा सकता है ,सिर्फ शर्त यही है कि प्यार दिल से हो, रूह से हो न कि शरीर से ! जब किस्मत साथ न हो तो किसी का आपको दिल से चाहना भी बहुत बड़ी खुशी होती है । मेरी नजरों में शारीरिक प्यार से ज्यादा रूहानी प्यार की वैल्यू है । जो हर व्यक्ति नही समझ सकता !जिसने अपनी जिंदगी ही कुर्बान कर दी हो किसी के लिए , प्यार की वैल्यू उससे पूछो !
हर दिन दौर बदलता है ,
जो कहते थे कल तक अजीज हमें
आज गुजरा हुआ कल कहते हैं
जो कहते थे कल तक अजीज हमें
आज गुजरा हुआ कल कहते हैं
२०२ .अमर उजाला
मेरी कविता amarujala.com par .
https://www.amarujala.com/kavya/ mere-alfaz/ versha-varshney-saavan-aur-prakrati
https://www.amarujala.com/kavya/
१९६,बेटियां
जय श्री कृष्णा मित्रो ,शुभ संध्या ।मेरी कविता बेटियां आज के नोएडा से प्रकाशित हिंदी दैनिक वर्तमान अंकुर में ,
महकती हुई सुगंध ,
महलों की वो गंध ।
दिलों की राजकुमारी ,
पापा से अनुबंध ।
अनजानी सी डोर ,
लगती जैसे भोर ।
नाचती हर पल ,
महकाती पोर पोर ।
तितली जैसी चंचल ,
गुड़िया जैसी चाल ।
क्यों बन जाती बेटियां ,
दुनिया में आज भी भूचाल ।
जीवन लगता दुश्वार ,
माँ ने मानी हार ।
कैसे मनाऊं प्यार को ,
बैरी हुआ जब संसार ।
माँ का प्रतिरूप है ,
दादी का अवतार ।
बहन है वो भाई की ,
पापा का है प्यार ।
झंकार से पायल की ,
खिल जाते दिल के द्वार ।
क्यों बन जाते हो निर्मोही ,
कोख में मार कर तलवार ।
गीतों जैसी मधुरता ,
साज जैसा है दुलार ।
बेटियां हैं तो हंसता है ,
आज भी सारा संसार ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
महलों की वो गंध ।
दिलों की राजकुमारी ,
पापा से अनुबंध ।
अनजानी सी डोर ,
लगती जैसे भोर ।
नाचती हर पल ,
महकाती पोर पोर ।
तितली जैसी चंचल ,
गुड़िया जैसी चाल ।
क्यों बन जाती बेटियां ,
दुनिया में आज भी भूचाल ।
जीवन लगता दुश्वार ,
माँ ने मानी हार ।
कैसे मनाऊं प्यार को ,
बैरी हुआ जब संसार ।
माँ का प्रतिरूप है ,
दादी का अवतार ।
बहन है वो भाई की ,
पापा का है प्यार ।
झंकार से पायल की ,
खिल जाते दिल के द्वार ।
क्यों बन जाते हो निर्मोही ,
कोख में मार कर तलवार ।
गीतों जैसी मधुरता ,
साज जैसा है दुलार ।
बेटियां हैं तो हंसता है ,
आज भी सारा संसार ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
Monday, 18 December 2017
१९४ ,लेख
http://www.badaunexpress.com/badaun-plus/z-1841/
अपनी कमजोरियों पर काबू न रख पाना ही अवसाद को जन्म देता है । किसी वस्तु या व्यक्ति को जिद की हद तक प्राप्त कर लेना ही जब उद्देश्य बन जाता है ,वहीं से अवसाद का जन्म होता है । परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेना ही सामंजस्य कहलाता है । जरूरी तो नहीं कि आप जैसा सोचते हैं ,दूसरों की विचारधारा भी आपकी सोच से मिलती हो । हर व्यक्ति के जन्म स्थान ,परिस्थितियों ,पालन पोषण में अंतर होता है । जब हम स्वयम ही अपने बच्चों को एक जैसा माहौल नही दे सकते ,फिर दूसरों से ऐसी उम्मीद करना ही व्यर्थ है । आजकल प्यार ,फरेब ,धोखा फिर आत्महत्या ये सब सामान्य दिखाई देता है ,लेकिन इन बातों को झेलने वाला इतना ज्यादा डिप्रेस होता है कि वो अपना अच्छा बुरा समझने में सक्षम नही होता और गलत दिशा में कदम रख देता है । आजकल के एकाकी परिवार ,बच्चों का दूर रहना ,आधुनिक जीवन शैली कहीं न कहीं हर दूसरे व्यक्ति को डिप्रेस कर रही है । जिस समय बच्चों को प्यार की अति आवश्यकता होती है ,उस समय माता पिता दोनों ही खुद में व्यस्त होते हैं । बढ़ती हुई उम्र के बच्चों को ज्यादा ध्यान की जरूरत होती है । प्यार का न मिलना ही डिप्रेशन को बढ़ावा देता है और आत्महत्या की सोच को भी ।जिंदगी में सब कुछ जरूरी है ,लेकिन प्यार हर व्यक्ति की प्राथमिकता है ।
१९२,पुकार
सुनो क्यूँ करते हो तुम ऐसा जब भी कुछ कहना चाहती हूँ दिल से ,
समझते ही नहीं मुझे ,जानते हो न मुझे आदत है यूँ ही आँसू बहाने की !
समझते ही नहीं मुझे ,जानते हो न मुझे आदत है यूँ ही आँसू बहाने की !
क्यूँ करते हो तुम ऐसा ,क्यूँ नहीं समझते मेरे जज्बात ,मेरी दिल्लगी ,
कल जब हम न होंगे तो , किसको सुनाओगे कहानी अपने दिल की !
आज वक़्त है तुम्हारा तो जलजले दिखाते हो ,कहती हूँ फिर दिल से ,
दूर नहीं वो दिन बगाबत पर उतर आएगी ,जब ये मेरे दिल की लगी !
क्यूँ अच्छा लगता है तुम्हें मेरा हर पल आंसुओं में डूबा हुआ चेहरा ,
क्यूँ नहीं आई होठों पर कभी हंसी और मुस्कराहट सुहानी सी !
चलो देखते हैं कब दौर खत्म होगा मेरी जिंदगानी के पल पल ढलते ,
//खून और जलती हुई चिंगारियों का //
सहनशीलता की पराकाष्ठा बहुत है , शायद टूटना मुश्किल है मेरा ,
यही तो जिंदगी है और यही जिंदगी की समरसता है आज भी ,
चलो छोड़ो रहने दो तुम नहीं समझोगे कभी मुझे अपना दिल से !!
Wednesday, 13 December 2017
१७८ ,दांपत्य जीवन
जिम्मेदारियां अपनी जगह हैं और दाम्पत्य जीवन अपनी जगह । सारी जिम्मेदारियों के बीच में आपसी प्यार को बनाये रखना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए । पैसे कमाने की धुन में इंसान उसी को क्यों भूल जाता है जिस परिवार के लिए वो दिन रात एक करता है । शादी से पहले और शादी के बाद में जीवन इतना क्यों और कैसे बदल जाता है । शायद किसी भी चीज या इंसान की वैल्यू उसके मिलने से पहले ही होती है । जीवन की विषम परिस्थितियों को भी सिर्फ प्यार और विश्वास के सहारे ही जीता जा सकता है ,यही प्रकृति का भी नियम है ।
१७५ ,जय श्री राम
जय श्री राम,
जन जन का सिर्फ एक ही नारा शुरू करो मंदिर निर्माण ,
देश मे अपने रहकर भी क्यों भूले अपनी पहचान
जन जन का सिर्फ एक ही नारा शुरू करो मंदिर निर्माण ,
देश मे अपने रहकर भी क्यों भूले अपनी पहचान
बीत गए कितने ही युग अब दिए हुए राम को बनवास
कैसी निर्दयी न्याय प्रणाली भूल गए खुद की पहचान
राम के आदर्शों पर चलकर कैसे भूले अपनी सभ्यता ,
भारत के ओ वीर सपूतो लहरा दो अब देश की शान ।
भारत के ओ वीर सपूतो लहरा दो अब देश की शान ।
मुद्दा राम मंदिर का कैसे बन गया जी का जंजाल ,
देश में अपने रहकर ही कबूल कर लिया गैरों का फरमान
देश में अपने रहकर ही कबूल कर लिया गैरों का फरमान
एकता और अखंडता ही है भारत की पहचान ,
कूद पढ़ो अब तुम रण में यही है वक़्त की अजान ।
कूद पढ़ो अब तुम रण में यही है वक़्त की अजान ।
१७३ .नीरज जी से एक मुलाक़ात 10 dec 2017
जय श्री कृष्णा मित्रो ,आज मेरी वर्षों पुरानी तमन्ना पूरी हुई ।हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार ,पदम श्री ,पदम भूषण और फ़िल्मफ़ेयर पुरुस्कार से सम्मानित सर (श्री गोपालदास नीरज सक्सेना, जो धर्म समाज डिग्री कॉलेज अलीगढ़ में प्रोफेसर भी रह चुके हैं) ,से जब मैं मिली तो उनका सहज सरल व्यक्तित्व देखकर दंग रह गयी ।उनसे मिलने से पहले दिल में उनको लेकर काफी सवाल थे ,लेकिन उनको सामने देखकर मैं निरुत्तर रह गयी ।
जब मैंने उनको अपनी किताबें ,"यही है जिंदगी ,एकल काव्य संग्रह और संदल सुगंध ,साझा संकलन भेंट की ,तो उन्होंने मुझे आशीर्वाद भी दिया और कविता सुनाने को कहा ।आशीर्वाद स्वरूप जो उन्होंने मुझसे कहा उसे सुनकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा ।मेरे गुरु जी का आशीर्वाद मुझे याद आ गया ।सर ने मुझे जन्मजात कवियत्री और दिल की गहराइयों से लिखने वाली कवियत्री कहा ।ये शब्द जैसे मेरे दिल में उतर गए ।नीरज जी ,सर ने मुझे आगे होने वाले कवि सम्मेलन में बुलाने के लिए भी कहा ।मुझ जैसी कवियत्री के लिए ये बहुत ही सौभाग्य और खुशी की बात है कि मैं इतने महान व्यक्तित्व से रूबरू हो सकी ।नीरज जी के लिए मेरे लिए कुछ कहना आसान तो नहीं लेकिन दिल से उनका बहुत बहुत आभार प्रकट करती हूँ ।चंद पंक्तियाँ आदरणीय नीरज जी के सम्मान में ,,
"वो मिले हमसे कुछ इस अंदाज में ,
दिल भी खो गया उनके आगाज में !
अहंकार दूर दूर तक नजर नहीं आया ,
यूँ लगा दिल को........ मिल गया हो
जैसे सदियों का प्यार एक ही क्षण में!"
जब मैंने उनको अपनी किताबें ,"यही है जिंदगी ,एकल काव्य संग्रह और संदल सुगंध ,साझा संकलन भेंट की ,तो उन्होंने मुझे आशीर्वाद भी दिया और कविता सुनाने को कहा ।आशीर्वाद स्वरूप जो उन्होंने मुझसे कहा उसे सुनकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा ।मेरे गुरु जी का आशीर्वाद मुझे याद आ गया ।सर ने मुझे जन्मजात कवियत्री और दिल की गहराइयों से लिखने वाली कवियत्री कहा ।ये शब्द जैसे मेरे दिल में उतर गए ।नीरज जी ,सर ने मुझे आगे होने वाले कवि सम्मेलन में बुलाने के लिए भी कहा ।मुझ जैसी कवियत्री के लिए ये बहुत ही सौभाग्य और खुशी की बात है कि मैं इतने महान व्यक्तित्व से रूबरू हो सकी ।नीरज जी के लिए मेरे लिए कुछ कहना आसान तो नहीं लेकिन दिल से उनका बहुत बहुत आभार प्रकट करती हूँ ।चंद पंक्तियाँ आदरणीय नीरज जी के सम्मान में ,,
"वो मिले हमसे कुछ इस अंदाज में ,
दिल भी खो गया उनके आगाज में !
अहंकार दूर दूर तक नजर नहीं आया ,
यूँ लगा दिल को........ मिल गया हो
जैसे सदियों का प्यार एक ही क्षण में!"
१६९ ,शेर
यदि मुमकिन होता जीना यूँ सांस के बिना
तो आज यूँ मुर्दा न होते
ज़िंदा भी रहते और यूँ अकेले भी
न होते शमशान में !!
तो आज यूँ मुर्दा न होते
ज़िंदा भी रहते और यूँ अकेले भी
न होते शमशान में !!
राहों में हमसफ़र के कोई तनहा नहीं होता
जुदाई हो जाए लाख पर प्यार कम नहीं होता
जीने का बहाना जरूरी है सफ़र में
बरना जिंदगी में जीने का मजा नहीं होता
जुदाई हो जाए लाख पर प्यार कम नहीं होता
जीने का बहाना जरूरी है सफ़र में
बरना जिंदगी में जीने का मजा नहीं होता
समंदर बसा है इन आँखों में
कभी डूबकर तो देखा होता
न होती जरूरत कश्ती की
एक बार हाथ जो थामा होता
कभी डूबकर तो देखा होता
न होती जरूरत कश्ती की
एक बार हाथ जो थामा होता
ख्यालों में ही सही तेरे पास आकर मुस्करा लेते हैं,
दीवानगी है ये प्यार की या है दिल की अदाएं ।
मोह्हबत में खुद को यूं भी .........आजमा लेते हैं !
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हद में रहकर भी बहुत याद आते हैं ,
कुछ रिश्ते दर्द बनकर साथ रहते हैं
दीवानगी है ये प्यार की या है दिल की अदाएं ।
मोह्हबत में खुद को यूं भी .........आजमा लेते हैं !
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हद में रहकर भी बहुत याद आते हैं ,
कुछ रिश्ते दर्द बनकर साथ रहते हैं
१६८, प्रेम या मोक्ष
कभी कभी हम जिंदगी से वो मांग लेते हैं जो हमारे नसीब में होता ही नहीं ,और ताउम्र उसी के बारे में सोच सोचकर खुद को परेशान करते रहते हैं । हक़ीक़त जाने बिना बस अनजान रास्तों पर चलते रहते हैं,कभी कभी हम जिंदगी से वो मांग लेते हैं जो हमारे नसीब में होता ही नहीं ,और ताउम्र उसी के बारे में सोच सोचकर खुद को परेशान करते रहते हैं ।हक़ीक़त जाने बिना बस अनजान रास्तों पर चलते रहते हैं किसी मंजिल की तलाश में ।यही तो जिंदगी का कड़वा सच है ।
कभी कभी हम जिंदगी से वो मांग लेते हैं जो हमारे नसीब में होता ही नहीं ,और ताउम्र उसी के बारे में सोच सोचकर खुद को परेशान करते रहते हैं ।हक़ीक़त जाने बिना बस अनजान रास्तों पर चलते रहते हैं किसी मंजिल की तलाश में ।यही तो जिंदगी का कड़वा सच है ।
१६६,जय हिन्द
मित्रो मेरे घर के सामने एक फौजी रहते हैं ।जहां आज सभी परिवार के सदस्य एक साथ दीवाली मना रहे हैं,
वही वो अपने परिवार को आज ही छोड़कर देश की सेवा में चले गए ।देखकर दिल बहुत भावुक हो गया ।
देश के सभी सैनिक भाइयों को मेरा दिल से सलाम ,
भूलकर अपना परिवार जो लगे हैं दिन रात देश सेवा में
हम मना रहे हैं आज त्यौहार वीर बंदों की बदौलत है ।
देखकर आंखें भर आती हैं उन माँ के सच्चे सपूतों को ,
सहज कर देती हैं विदा जो अपने जान के टुकड़ों को ।
हम लड़ रहे हैं सिर्फ पटाखे और जातिवाद के लिए ,
बहा देते हैं वो अपना खून भी देश की रक्षा के लिए ।
बेटी रोकती है बड़े प्यार से ,आज तो मत जाओ पापा ,
माँ समझा देती है देश बड़ा है मत रोको उनको जाने से
देखकर इतनी सहजता मस्तक झुक झुक जाता है ,
दिल करता है आज बोल दो एक जय कारा इन
सच्चे देश भक्तों के लिए ।
अपनों की जुदाई आसान नहीं एक पल के लिए ,
महान है वो माँ और पत्नी रोक लेती है जो आँसू
देश की सेवा के लिए ।
मना रहा है देश सारा आज दिवाली मस्ती में मगन होके
करते हैं हम शुक्रिया दिल से अपने वीर जवानों के लिए
जय हिंद जय जवान
देश के सभी सैनिक भाइयों को मेरा दिल से सलाम ,
भूलकर अपना परिवार जो लगे हैं दिन रात देश सेवा में
हम मना रहे हैं आज त्यौहार वीर बंदों की बदौलत है ।
देखकर आंखें भर आती हैं उन माँ के सच्चे सपूतों को ,
सहज कर देती हैं विदा जो अपने जान के टुकड़ों को ।
हम लड़ रहे हैं सिर्फ पटाखे और जातिवाद के लिए ,
बहा देते हैं वो अपना खून भी देश की रक्षा के लिए ।
बेटी रोकती है बड़े प्यार से ,आज तो मत जाओ पापा ,
माँ समझा देती है देश बड़ा है मत रोको उनको जाने से
देखकर इतनी सहजता मस्तक झुक झुक जाता है ,
दिल करता है आज बोल दो एक जय कारा इन
सच्चे देश भक्तों के लिए ।
अपनों की जुदाई आसान नहीं एक पल के लिए ,
महान है वो माँ और पत्नी रोक लेती है जो आँसू
देश की सेवा के लिए ।
मना रहा है देश सारा आज दिवाली मस्ती में मगन होके
करते हैं हम शुक्रिया दिल से अपने वीर जवानों के लिए
जय हिंद जय जवान
१६५ ,प्रकाशित कविता
जय श्री कृष्णा मित्रो ,आप सभी की शाम सुहानी हो ।
सौरभ दर्शन साप्ताहिक (भीलवाड़ा )
मिट्टी के पुतलों जैसा जीवन ,
ठोकर लगी और टूट गए ।
कैसा गुरूर कैसी शान ,
मिट्टी में ही सिमट गए ।
सांझ हुई खुशियों की आस में ,
जरा सी बात पर पिघल गए ।
अधरों पर आ गयी मुस्कान ,
बच्चों जैसे बहक गए ।
कठपुतली ऊपर वाले की ,
कुछ भी अपने हाथ नहीं ।
जब भी खींची डोरी उसने ,
पल भर में ही सिमट गए।
देख तमाशा दुनिया का ,
ऐ दिल क्यों इतराता है ।
भेजा था ऊपरवाले ने
नेक किसी मकसद से ।
भूलकर अपनी मंजिल ,
झूठी दुनिया मे भटक गए
सौरभ दर्शन साप्ताहिक (भीलवाड़ा )
मिट्टी के पुतलों जैसा जीवन ,
ठोकर लगी और टूट गए ।
कैसा गुरूर कैसी शान ,
मिट्टी में ही सिमट गए ।
सांझ हुई खुशियों की आस में ,
जरा सी बात पर पिघल गए ।
अधरों पर आ गयी मुस्कान ,
बच्चों जैसे बहक गए ।
कठपुतली ऊपर वाले की ,
कुछ भी अपने हाथ नहीं ।
जब भी खींची डोरी उसने ,
पल भर में ही सिमट गए।
देख तमाशा दुनिया का ,
ऐ दिल क्यों इतराता है ।
भेजा था ऊपरवाले ने
नेक किसी मकसद से ।
भूलकर अपनी मंजिल ,
झूठी दुनिया मे भटक गए
१६२,बेटी दिवस
जय श्री कृष्णा ,अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस की आप सभी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।
(इसी संदर्भ में एक कहानी याद आती है ,जो मेरे दिल के बहुत करीब है )
कैसे लिखूं क्या लिखूं कुछ समझ नहीं आता कभी कभी ?शादी होने के बाद ससुराल में जाना और वहां सास ससुर का जल्दी से अम्मा बाबा बनने का सपना पूरा करने की इच्छा में शायद मुझे भी माँ बनने की खुशी होने लगी थी ,मेरे पति चार भाई हैं ।
उसके बाद भी सास ससुर की पहली इच्छा बेटा होने की ही थी ।रात दिन घर में पूजासब पाठ ,और बेटा होने के लिए मन्नतें मांगना दिल मे एक अजीब सा डर बैठने लगा था । कहीं बेटा नहीं हुआ तो बेटी हुई तो ? एक एक दिन बड़ी मुश्किल से गुजरता था ।माँ बनने की खुशियां जैसे कहीं खो गयी थी ।इसी कशमकश में दिन गुजरते गए । वो घड़ी भी आ ही गयी जिसका बेसब्री से इंतजार था । हमारे यहां पहले बच्चे को नए कपड़े नहीं पहनाते इसलिए मैं अपनी सहेली की बेटी के कुछ छोटे कपड़े ले आयी थी ।लेबर रूम में 3.30 घंटे दर्द सहने के बाद जब बच्चा हुआ तो मेरा पहला सवाल सिर्फ यही था कि क्या हुआ है बेटी या बेटा ।नर्स ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने सारा दर्द भूलकर फिर से पूछा कि बताती क्यों नहीं क्या हुआ है ,तो नर्स बोली कि लक्ष्मी आयी है ।इतना सुनते ही जैसे मैं धरातल पर आ गयी ।आंखों से आंसूं बहने लगे कि अब क्या होगा । जिसका डर था वही हुआ ।बेटी होने की सुनकर किसी को कोई खुशी नहीं हुई और कह दिया कि बेटी के कपड़े लायी थी इसलिए बेटी हो गयी ।वाह रे हमारी पढ़ी लिखी सोच । मौसमी का रस पिया था इसलिए बेटी हो गयी ।मैं बुखार में पड़ी तप रही थी लेकिन बजाय हिम्मत के सिर्फ ताने ही मिले । पढ़ी लिखी फैमिली होने के बाद भी ,जिस घर मे एक भी बेटी नही थी ,उसको वो प्यार नहीं मिला ।शायद इसके लिए भी मैं ही कसूरवार थी ।बाद में उसी बेटी को सभी का बहुत प्यार मिला ,लेकिन कभी कभी वक़्त पर की गई कुछ बातें जीवन भर याद रह जाती हैं ।मेरी बेटी शुरू से ही पढ़ने लिखने में होशियार थी ।मैंने और उसके पिता ने उसकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी ।उसका सपना एक अध्यापिका बनकर समाज की बेटियों को सही राह दिखाना था । आज मेरी बेटी इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएट ,pgdca ,Ntt ,C,tet सभी क्लियर कर चुकी है और एक सफल अध्यापिका भी हैं । उसने मेरे सपने को साकार किया ।मुझे गर्व है अपनी बेटी पर ।आप सभी को भी अपनी बेटियों पर गर्व होना चाहिए । बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ का नारा तभी सार्थक हो सकता है ,जब हम सभी बेटियों के जीवन के प्रति एक अच्छी और सार्थक सोच रखें ।आज भी लड़कों के मुकाबले लड़कियों का % कम है ,जो यही बताता है कि आज भी हमारी सोच पुराने दौर में ही अटकी हुई है ।
(इसी संदर्भ में एक कहानी याद आती है ,जो मेरे दिल के बहुत करीब है )
कैसे लिखूं क्या लिखूं कुछ समझ नहीं आता कभी कभी ?शादी होने के बाद ससुराल में जाना और वहां सास ससुर का जल्दी से अम्मा बाबा बनने का सपना पूरा करने की इच्छा में शायद मुझे भी माँ बनने की खुशी होने लगी थी ,मेरे पति चार भाई हैं ।
उसके बाद भी सास ससुर की पहली इच्छा बेटा होने की ही थी ।रात दिन घर में पूजासब पाठ ,और बेटा होने के लिए मन्नतें मांगना दिल मे एक अजीब सा डर बैठने लगा था । कहीं बेटा नहीं हुआ तो बेटी हुई तो ? एक एक दिन बड़ी मुश्किल से गुजरता था ।माँ बनने की खुशियां जैसे कहीं खो गयी थी ।इसी कशमकश में दिन गुजरते गए । वो घड़ी भी आ ही गयी जिसका बेसब्री से इंतजार था । हमारे यहां पहले बच्चे को नए कपड़े नहीं पहनाते इसलिए मैं अपनी सहेली की बेटी के कुछ छोटे कपड़े ले आयी थी ।लेबर रूम में 3.30 घंटे दर्द सहने के बाद जब बच्चा हुआ तो मेरा पहला सवाल सिर्फ यही था कि क्या हुआ है बेटी या बेटा ।नर्स ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने सारा दर्द भूलकर फिर से पूछा कि बताती क्यों नहीं क्या हुआ है ,तो नर्स बोली कि लक्ष्मी आयी है ।इतना सुनते ही जैसे मैं धरातल पर आ गयी ।आंखों से आंसूं बहने लगे कि अब क्या होगा । जिसका डर था वही हुआ ।बेटी होने की सुनकर किसी को कोई खुशी नहीं हुई और कह दिया कि बेटी के कपड़े लायी थी इसलिए बेटी हो गयी ।वाह रे हमारी पढ़ी लिखी सोच । मौसमी का रस पिया था इसलिए बेटी हो गयी ।मैं बुखार में पड़ी तप रही थी लेकिन बजाय हिम्मत के सिर्फ ताने ही मिले । पढ़ी लिखी फैमिली होने के बाद भी ,जिस घर मे एक भी बेटी नही थी ,उसको वो प्यार नहीं मिला ।शायद इसके लिए भी मैं ही कसूरवार थी ।बाद में उसी बेटी को सभी का बहुत प्यार मिला ,लेकिन कभी कभी वक़्त पर की गई कुछ बातें जीवन भर याद रह जाती हैं ।मेरी बेटी शुरू से ही पढ़ने लिखने में होशियार थी ।मैंने और उसके पिता ने उसकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी ।उसका सपना एक अध्यापिका बनकर समाज की बेटियों को सही राह दिखाना था । आज मेरी बेटी इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएट ,pgdca ,Ntt ,C,tet सभी क्लियर कर चुकी है और एक सफल अध्यापिका भी हैं । उसने मेरे सपने को साकार किया ।मुझे गर्व है अपनी बेटी पर ।आप सभी को भी अपनी बेटियों पर गर्व होना चाहिए । बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ का नारा तभी सार्थक हो सकता है ,जब हम सभी बेटियों के जीवन के प्रति एक अच्छी और सार्थक सोच रखें ।आज भी लड़कों के मुकाबले लड़कियों का % कम है ,जो यही बताता है कि आज भी हमारी सोच पुराने दौर में ही अटकी हुई है ।
१६१,बेटियां
जय श्री कृष्णा मित्रो ,
(कभी मुद्दे की बात पर भी अपनी राय जरूर रखनी चाहिए ,शायद किसी की आंख खुल जाए ।)
कौन कहता है बेटियां बोझ नहीं होती ,आज के शिक्षित समाज में भी जब ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं तब मन एक अनजानी सोच में डूब जाता है ।चंद दिनों पहले कन्या को देवी का रूप मानने वाले समाज में जब ऐसी वीभत्स घटनाएं सामने आती हैं तो समाज की सच्चाई सामने आ ही जाती है ।आज सुबह एक खबर ने फिर से दिल दहला दिया ।तीसरी नातिन होने पर दादी ने ही उसे मार दिया । कहाँ जा रहा है हमारा समाज ।हमारी संकीर्ण सोच हमें कहाँ ले जाएगी ।क्या बेटों से ही वंश चलता है ?क्या बेटियां यूँ ही मरती रहेंगी, कभी कोख में तो कभी जन्म के बाद ।मेरी नजर में तो ऐसे लोगों का समाज से ही निष्कासन कर देना चाहिए ।आपकी क्या राय है ?
कौन कहता है बेटियां बोझ नहीं होती ,आज के शिक्षित समाज में भी जब ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं तब मन एक अनजानी सोच में डूब जाता है ।चंद दिनों पहले कन्या को देवी का रूप मानने वाले समाज में जब ऐसी वीभत्स घटनाएं सामने आती हैं तो समाज की सच्चाई सामने आ ही जाती है ।आज सुबह एक खबर ने फिर से दिल दहला दिया ।तीसरी नातिन होने पर दादी ने ही उसे मार दिया । कहाँ जा रहा है हमारा समाज ।हमारी संकीर्ण सोच हमें कहाँ ले जाएगी ।क्या बेटों से ही वंश चलता है ?क्या बेटियां यूँ ही मरती रहेंगी, कभी कोख में तो कभी जन्म के बाद ।मेरी नजर में तो ऐसे लोगों का समाज से ही निष्कासन कर देना चाहिए ।आपकी क्या राय है ?
Monday, 16 October 2017
Monday, 9 October 2017
१६०.प्रेम और दिल
दिल के रिश्तों पर बात करना भी जहाँ पाप मालूम होता है ,
पूजती है दुनिया उसी को जहाँ पत्थरों का भी भय होता है !!
यूँ तो दीवानी है दुनिया राधा कृष्णा के अद्भुत् प्रेम की ,
लेकर राधा कृष्णा का नाम वहीँ पाप हर दिन होता है !!
दिल की आवाज दबा देते हैं हर दिन नर और नारी ,
वहीँ प्यार कि आढ़ में विश्वासघात हर दूसरे पल होता है !
अभागे हैं वो लोग दुनिया में जो तन्हाई में जीते हैं ,
पीते हैं आंसुओं को हर पल जहाँ प्यार बेशुमार होता है !!
अजूबा है ये दुनिया भी क्या कहें अभ्यस्त हो चुके हैं ,
जहाँ बंधन है क्या वहां सच में प्यार का भण्डार होता है !!
थक न जाए ये जिंदगी कभी तो समझा करो ए मेरे दिल ,
भरी दुनिया में भी सागर इंसान का तलबगार होता है !!
बरबादियों का जश्न मनाना भी एक शगल है जमाने में ,
मैकदा हाथों में ,होठों पर नगमा आज भी पुराना होता है !!
डूब न जाए आंसुओं के बहती धारा में धारावाहिक की तरह ,
आजकल प्रेम भी TRP पाने का घटिया नजारा होता है !!
न कर फ़रियाद न कर शिकवा जिंदगी से रात दिन
///ए मेरे दर्दे दिल ,/////
रोने से कब किसी को प्यार "वर्षा "हासिल होता है !!
Saturday, 7 October 2017
१५९,लेख
मेरा लेख बदायूं एक्सप्रेस पर ।
http://www.badaunexpress.com/badaun-plus/a-5634/
पति पत्नी का रिश्ता एक समय के बाद ठंडा होकर अपने रिश्ते की गरिमा खोने लगता है ।शादी होने के बाद जहां दोनों ही इस रिश्ते के महत्व की अनदेखा करने लगते हैं ,वहीं से धीरे धीरे एक दूसरे के लिए अहसास खत्म होने लगते हैं । घर परिवार की जिम्मेदारियां ,बच्चों का पालन पोषण ,सामाजिक रस्म रिवाज जैसे दोनों को ही मात्र एक बंधन लगने लगते हैं ,और प्यार की भावना अपना दम तोड़ने लगती है ।जो प्यार और वायदे शादी से पहले होते हैं, क्यों वो शादी के बाद सिर्फ यादें बनकर रह जाती हैं ? महंगे कपड़े ,जेवर ही खुशियों का पर्याय नहीं होते ।यदि पति पत्नी दोनों ही एक दूसरे की छोटी छोटी बातों को महत्व दें तो प्यार की गरिमा को बनाये रखना कोई कठिन कार्य नहीं !
समय समय पर एक दूसरे की समस्याओं को सुनना ,एक दूसरे की पसंद का ध्यान रखना , दोनो को एक दूसरे के नजदीक लाता है । आज के समय मे सोशल मीडिया ने भी दूरियों को कम किया है ।एक छोटी सी कॉल भी आपकी जिंदगी को खुशियां दे सकती है ।
क्या कभी किसी ने सोचा है कि आजकल रिश्ते क्यों टूट रहे हैं ?क्यों मनभेद मतभेद का रूप धारण कर लेते हैं । क्यों एक पुरुष अपनी प्रेमिका की बातों को याद रखता है,लेकिन पत्नि की बातें जहर लगने लगती हैं । क्यों बच्चों के सामने पत्नी का कोई महत्व नहीं होता ? किसी दूसरे घर से आई पत्नी के लिए वो घर हमेशा पराया ही होता है । यदि पति पत्नी दोनों ही एक दूसरे की भावनाओं को दिल से समझें और सम्मान दें तो परिवार में प्यार को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता ।
बच्चे अपनी जगह ,और आपसी प्यार अपनी जगह ।कोई किसी की जगह नहीं ले सकता । करवा चौथ का पवित्र व्रत पति-पत्नी को एक दूसरे के करीब लाने का अच्छा प्रयास है क्योंकि पति पत्नी का रिश्ता अटूट है । तो आइए आज से ही एक दूसरे को सम्मान देने का प्रण लें । महंगे गिफ्ट देने की बजाय एक दूसरे की जरूरतों का ध्यान रखें ।एक दूसरे के साथ वक़्त बिताएं । समय का क्या भरोसा ,क्यों न आज खुशियों को गले से लगाएं ।यदि खुशियां पैसों से खरीदी जाती तो शायद आज दुनिया का कोई भी रईस व्यक्ति दुखी नहीं होता ।
समय समय पर एक दूसरे की समस्याओं को सुनना ,एक दूसरे की पसंद का ध्यान रखना , दोनो को एक दूसरे के नजदीक लाता है । आज के समय मे सोशल मीडिया ने भी दूरियों को कम किया है ।एक छोटी सी कॉल भी आपकी जिंदगी को खुशियां दे सकती है ।
क्या कभी किसी ने सोचा है कि आजकल रिश्ते क्यों टूट रहे हैं ?क्यों मनभेद मतभेद का रूप धारण कर लेते हैं । क्यों एक पुरुष अपनी प्रेमिका की बातों को याद रखता है,लेकिन पत्नि की बातें जहर लगने लगती हैं । क्यों बच्चों के सामने पत्नी का कोई महत्व नहीं होता ? किसी दूसरे घर से आई पत्नी के लिए वो घर हमेशा पराया ही होता है । यदि पति पत्नी दोनों ही एक दूसरे की भावनाओं को दिल से समझें और सम्मान दें तो परिवार में प्यार को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता ।
बच्चे अपनी जगह ,और आपसी प्यार अपनी जगह ।कोई किसी की जगह नहीं ले सकता । करवा चौथ का पवित्र व्रत पति-पत्नी को एक दूसरे के करीब लाने का अच्छा प्रयास है क्योंकि पति पत्नी का रिश्ता अटूट है । तो आइए आज से ही एक दूसरे को सम्मान देने का प्रण लें । महंगे गिफ्ट देने की बजाय एक दूसरे की जरूरतों का ध्यान रखें ।एक दूसरे के साथ वक़्त बिताएं । समय का क्या भरोसा ,क्यों न आज खुशियों को गले से लगाएं ।यदि खुशियां पैसों से खरीदी जाती तो शायद आज दुनिया का कोई भी रईस व्यक्ति दुखी नहीं होता ।
“तमन्ना है तेरे बाजूओं में मेरा दम निकले ,
मौत भी आये तो नाम सिर्फ तेरा निकले ।
गैरों से क्यों करते रहें गिला शिकवा ।
प्यार ही प्यार में जिंदगी ताउम्र निकले ।”
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
मौत भी आये तो नाम सिर्फ तेरा निकले ।
गैरों से क्यों करते रहें गिला शिकवा ।
प्यार ही प्यार में जिंदगी ताउम्र निकले ।”
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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