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Tuesday 4 July 2017

                                      १०० ,लेख 

Badayun Express par mera lekh,
http://www.badaunexpress.com/badaun-supar/a-2644/
कभी कभी बहुत ज्यादा चिड़चिड़ाहट होने लगती है । दिल किसी भी काम में नहीं लगता । एक अजीब सी बैचैनी दिल में घर बनाने लगती है ।क्यों होता है ऐसा ,क्या ये एक रोग है या कुछ और ?आइये कुछ बातों पर रोशनी डालने की कोशिश करते हैं । आज की दुनिया सिर्फ स्वार्थ से भरी हुई है ।जिधर देखो उधर सभी सिर्फ अपने मतलब में लगे हुए हैं । कुछ लोग अचानक मिलते हैं ।भावुक लोगों को अपनी बातों में उलझाकर अचानक ही दूर होने लगते हैं । आज तक यही समझ नहीं आता ,आखिर ऐसा क्यों हो जाता है ? शायद जिंदगी हर मोड़ पर हमें सबक देती है । ज्ञानी की तरह रास्ता दिखाने की कोशिश करती है ,लेकिन इन बातों में बेचारे दिल का क्या कसूर ? कब ,कैसे ,कोई आपका सगा बन जाता है और कब पराया समझ ही नहीं आता । जो कभी आपसे बोलने के लिए हर पल तैयार रहते हैं ,अचानक मुंह फेरने लगते हैं । क्या यही संसार है ?क्या यही दोस्ती है ?क्या यही प्यार है ? नहीं दुनिया सिर्फ स्वार्थ का दूसरा नाम है मेरी नजरों में ।आप सभी का क्या विचार है ?
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

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