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Saturday 29 July 2017

                                 १२६,,गेरुआ 

लिबास पहनकर गेरुआ बैठ संतों के संग !
मान लिया ढोंगियों ने खुद को प्रभु का अंग ।!


न जाने किसकी तलाश है ,
हर दिन जिंदगी लगती ख़ास है !!

आजाद देश के परिंदे रहते आज उदास हैं ,
महफ़िल में आज भी कहकहों के तख्तो ताज हैं !!


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