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Tuesday 4 July 2017

                                      १०२ पिता 

पिता एक अबूझ कहानी ,
न आंखों में आंसूं ,
न होठों पर बातें पुरानी ।
लगे रहते चुपचाप कर्म में ,
लगाकर दिल में नेह और प्यार 
की फसल की जिम्मेदारी ।
माँ है धरती तो पिता है आकाश ,
कैसे पूर्ण हो पाती ,
बिन आकाश के धरती की
प्यास भरी जिंदगानी ।

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