41.2020 जिंदगी का एक और ऐसा दौर जहाँ लगता है जैसे सब कुछ थम गया है ।लेखनी रुक गयी है/कुछ समझ ही नहीं आता कि अचानक ये क्या हुआ ? बचपन से जवानी तक कर्फ्यू का बहुत गंभीर रूप देखा/ घर के बाहर खड़ा होना भी मुनासिब नहीं था ।एक दौर ऐसा भी देखा ,जब पुलिस घरों से खींचकर लोगों को ले गयी क्योंकि वो गलियों में गुट बनाकर खड़े थे ,लेकिन फिर भी इतना था कि एक दूसरे के घर जा सकते थे ।खाना पीना ,खेलना साथ होता था ।एक तरह से वो मजे के दिन होते थे ।हाँ ,बचपन में जब नानी से कभी भूलकर भी कह दिया कि मेरे ऊपर कहीं से पानी की छींटा आ गयी है, तब तो समझो आफत ही आ जाती थी। उनका कहना होता था कि बाहर ही रुक, पहले तेरे ऊपर पानी डालूँगी । बड़ा ही अजीब लगता था कि नानी को अब आगे से बताऊंगी भी नहीं ,लेकिन आज इस कोरोना ने फिर से वो सारी छुआछूत याद दिला दी। पहले जमाने की सारी बातें जैसे- खाने से पहले हाथ धोना ,ईश्वर का नाम लेना ,हॉस्पिटल से आकर कपड़े अलग रखना ,किसी को छूना नहीं ,सबसे अलग बैठना ,नमस्ते करना आजकल के आधुनिक बच्चों को अजीब लगता था लेकिन पुरानी बातों में कुछ तो दम था जो आज विज्ञान भी मानने को विवश है ।
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versha varshney {यही है जिंदगी } जय श्री कृष्णा मित्रो, यही है जिंदगी में मैंने मेरे और आपके कुछ मनोभावों का चित्रण करने की छोटी सी कोशिश की है ! हमारी जिंदगी में दिन प्रतिदिन कुछ ऐसा घटित होता है जिससे हम विचलित हो जाते हैं और उस अद्रश्य शक्ति को पुकारने लगते हैं ! हमारे और आपके दिल की आवाज ही परमात्मा की आवाज है ,जो हमें सबसे प्रेम करना सिखाती है ! Bec Love iS life and Life is God .
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Thursday, 8 October 2020
कोरोना *दूर रहें स्वस्थ रहें सतर्क रहें ,बड़े बुजुर्गों की बातों में दम होता है उनकी बातों को सिरे से खारिज करने से पहले एक बार जरूर सोचें कि वो सत्य के कितने करीब हैं ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
य माता की मित्रो
*खाना पीना सोना जगना
बार बार टी वी को देख लेना
ये कैसा हुआ रोज का फसाना
चलो गाते हैं कोई तराना
कुछ तो क-रोना ऐसे उदास मत होना ।
सोचो एक बार फिर से बीते
दिनों की वो दौर ऐ रवानी
जीत गए थे जब कठिन दौर से
फिर क्यों है आज ये रोना
कुछ तो क-रोना ऐसे उदास मत होना ।
गुजर जाएगा ये वक़्त भी
छूटे हुए कुछ काम कर डालो
परिवार के लिए कब था वक़्त
आज पुरानी यादों को ताजा कॅरोना /
कुछ तो क-रोना ऐसे उदास मत होना ।
लड़ जाएंगे मुश्किल घड़ी से भी
बस कुछ दिनों की बात है ।
जीत जाएगा एक बार फिर से भारत
अपने आत्मबल को मजबूत कॅरोना ।
कुछ तो क-रोना ऐसे उदास मत होना ।
सर झुकायेगी दुनिया देखकर
भारतवासियों की जिंदादिली
न हारे हैं न हारेंगे हम दुश्वारियों से
आओ खुद को फिर से मजबूत कॅरोना
कुछ तो क-रोना ऐसे उदास मत होना ।
गर बीमारी को दूर है भगाना
तो मना है अभी घर से निकलना
कुछ दिनों की तो बात है
जरूरी नहीं है तुम्हारा टहलना
एक बार जरा मुस्कराना
हार जाएगा देखो *कोरोना*
कुछ तो क-रोना ऐसे उदास मत होना ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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