72कुछ यूँ ही दिल की बात .......
#कर्ण की निष्ठा में कहीं न कहीं मुझे अपना #अक्स नजर आता है जिसने सब कुछ जानते हुए भी #मित्रता का साथ दिया क्योंकि वो भी दुनिया में #अकेला था और #मैं भी !किसी का साथ पाना और उसे पूर्ण #निष्ठा के साथ निभाने के लिए अपना #सर्वस्व खत्म कर देना ही कर्ण को महान बनाता है ।दुनिया में अकेले होने का दर्द हर पल सिर्फ वही समझ सकता है जिसने इस #दर्द को झेला हो ।दुर्योधन की #गलत बातों को जानते हुए भी कर्ण ने सिर्फ उसका साथ इसीलिए दिया क्योंकि उसने #अकेलेपन के दंश को झेला था और उसके एक बार #मित्र कह देने पर ही खुद को #स्वाहा कर दिया । न #सूरवीर कर्ण जिसने दुनिया में #मित्रता को अमर कर दिया ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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