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Thursday 8 October 2020

 50.दर्दनाक ,

आह!कितनी सुंदर बच्ची को
यूँ बिलखने को छोड़ दिया ।
भगवान की बनाई अनुपम
कृति को कैसा ये प्रतिघात किया /
कसूर क्या था मेरा ,
जो मिट्टी समझ कर फेंक दिया ?
दया न आयी एक पल भी
ममता को क्यों श्रापित किया ?
गलतियां तुम करो ,
भुगतना मेरे नसीब में था ।
कैसी माँ हो तुम ,
ममता को कलंकित कर दिया ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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