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Wednesday 14 October 2020


 90मेरठ से प्रकाशित समाचार पत्र ,दैनिक विजय दर्पण (16/6/20)में मेरी रचना ,

Image may contain: Versha Varshney, text that says "रचनाकार वर्षा वारष्णेय अलीगढ़ से लिखती हैं एक रचना कविता: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ वर्णित अनगिनत ऋाओं में शब्दकोश भी उससे रिक्त नहीं गौरव इतिहास कोई पृष्ट नहीं फूलों सी कोमलता सार भरा भावों का जननी वो हम सब प्रिया घर सहायक है सृष्टि विधान मातृत्व का बोझ है रण शेरनी बाला भी उसने है| शब्दों की में बाँधकर प्यार के है वो सरगम की सुरीली तान पर छम छम ईश्वर की है है वो अनुपम चित्रकारी क्यों नहीं गूँजने किलकारी बेटी की है शान बेटी बचाओ गर चलानी है फुलवारी|"

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