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Wednesday 14 October 2020

 87.#दिखावा और सुख

आज का दौर सिर्फ दिखावे का दौर है जहाँ कर्ज लेकर भी शान शौकत की वस्तुओं को लेना रहीसी का प्रतीक माना जाता है । क्रेडिट कार्ड है तो इंग्लिश का शब्द लेकिन इसने कर्ज जैसे हिंदी के शब्द को छिपा कर गौरव का प्रतीक बना दिया है ।यदि सुख सुविधा की आधुनिक वस्तुएँ ही सुख का निमित्त होती तो आज कोई भी अमीर व्यक्ति दुःखी और अकेला नहीं होता ।आज की पीढ़ी जिंदगी के असली सुख को भूलकर आधुनिक ऐशोआराम की चीजों को ही सुख मान बैठी है ।अत्यधिक तनाव ,व्यस्त दिनचर्या ,दूसरों की होड़ में कर्ज लेकर किस्तों का
भरना जैसे जिंदगी सिर्फ यही उद्देश्य रह गया है ।परिवार के साथ बैठना -उठना ,खुशी का असली मतलब समझना इन बातों का न किसी के पास वक़्त है न जरूरत नतीजा जिंदगी का दुःखद अंत ।
#चलो लौट चलो असली सुख की ओर ,
वही तो है जिंदगी की असली डोर ।
पकड़ कर हाथ चलो तो सही अपनों की ओर ,
नहीं थामना पड़ेगा कोई दूसरा छोर ।#
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
Image may contain: nature and outdoor, text that says "EEreznn love U Mahak फैंसला छोटा हो या बड़ा गर वक्त पर ना लिया जाये, तो वक्त और इंसान दोनों को बर्बाद कर देता है!!"

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