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Thursday 8 October 2020

 51.*जय हो मेरे कान्हा की *

*कुछ सजाएँ हम खुद चुनते हैं ,
कुछ सजाएँ ईश्वर हमें देता है/
कुछ लोग प्यार को भगवान
मानकर पूजा करते हैं /
कुछ लोग भगवान को भी
मजाक मानते हैं /*
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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