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Wednesday 14 October 2020

 92.स्त्रियों के सम्मान की प्रतीक #महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को शत शत नमन

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(खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी )
#स्त्री न कल कमजोर थी
न आज कमजोर है /
शालीनता की प्रतीक
बनकर भार उठाने की
गजब हिम्मत है उसमें
स्त्री न कभी लाचार थी
न आज लाचार है /
डर है जिनको बर्बादी का
बाँध देते हैं खूँटे से कील के
निभाती है सारे रिश्ते प्रेम से
स्त्री न कभी बेचारी थी
न आज भी बेगार है /
आ जाये गर अपनी जिद पर
आसमान को झुकाने की ताकत रखती है ,
18/6/20वर्षा वार्ष्णेय
फैसलों को रखकर ताक पर
दुनिया को हिलाने की शान रखती है ।
स्त्री चुप है सिर्फ प्रेम की खातिर
स्त्री न कल #बाजार थी
न स्त्री आज भी #दरबार है /
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़


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