37..,मेरी कविता ज्ञानगंगा मासिक पत्रिका में ।
सूने से मन का संसार है fb की दुनिया ,
अकेले रंग का विस्तार है ये दुनिया।
डुबो देती है सारे जग को अपने रंग में ,
जिंदगी से लड़ने का रंगीन अहसास है ये दुनिया।
आसान नहीं प्रेम की रीत निभाना ,
मुश्किल है प्रेम को समझ पाना।
मुश्किल है प्रेम को समझ पाना।
No comments:
Post a Comment