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Wednesday 14 October 2020

 94.जय श्री कृष्ण मित्रो ,"वुमेन एक्सप्रेस " 16/6/20,दुनिया का पहला महिलाओं पर आधारित राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र में मेरी रचना

#वर्णित हैं अनगिनत ऋचाओं में
शब्दकोश भी उससे रिक्त नहीं
भारत के गौरव से अछूता
इतिहास का कोई पृष्ठ नहीं ।
फूलों सी है कोमलता
सार भरा है भावों का
जननी है वो हम सब की
प्रिया बनकर घर संवारा है ।
सहायक है सृष्टि विधान में
मातृत्व का बोझ उठाया है
रण में बनकर शेरनी बाला
भाला भी उसने उठाया है।
शब्दों की माला में बाँधकर
प्यार के घुँघरू ,नाचती है
वो सरगम की सुरीली तान पर
महकाती है घर को छम छम से
ईश्वर की है वो अनुपम चित्रकारी
क्यों नहीं गूँजने देते किलकारी
बेटी है मान संसार की है शान
बेटी बचाओ गर चलानी है फुलवारी ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

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