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Friday 9 October 2020

 74#मेरठ के सुप्रसिद्ध #दैनिक विजय दर्पण में प्रकाशित मेरी रचना आप सभी के लिए हार्दिक धन्यवाद संपादक मंडल

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Image may contain: Versha Varshney, text that says "रचनाकार वर्षा वाष्णेय, अलीगढ़ लिखती एक रचना मैं वीरांगना ही हूँ कोई लक्ष्मीबाई, ये देश है मेरा मैं हूँ देश की शान जल रहे थे यूँ हजारों आसमान में, तिमिर को था के मान का फैल गई थी दूर तक एकता की शहनाई जरा सोचो तो तुम ये कहाँ से आयी तूफान से जाते हैं चल देते हैं कर अपने कंधों पे उजाले अज्ञान को चीरकर ज्ञान की ठहर मत जाना तेरी आन पे बन आयी गंगा की चाल अमिट है से रहा है मेरा है शस्यश्यामला ये भूमि पुरखों ने गंवाई जाए वचन सदियों से रीत चली आयी"



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