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Thursday, 26 December 2019

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स्वयं के बलबूते पर मिला पान भी जो संतुष्टि देता है वो सिफारिश से मिली मेवा से कहाँ ?

नाम की दीवानी तो दुनिया है सारी ,
क्या फकीर और क्या राजा रानी ।

@एक से बढ़कर एक सुंदर कपड़े ,स्टाइल से लदे फदे चेहरे शायद साहित्य का मजाक बनाते नजर आते हैं ।ये नया जमाना है जहाँ व्यक्ति की काबिलियत को उसके साहित्य से नहीं बल्कि उसकी पोशाक से आँका जाता है ।कवि सम्मेलन जैसे सिर्फ एक मेकअप से लिपे पुते चेहरों का अड्डा बन गया है ।क्या आपके पास किसी की सिफारिश है ,या पति का रुतबा है या रुपयों की गड्डी है ?यदि आपके पास इनमें से कुछ है तो आगे बढ़ने की सोचिये वरना आपके लिए जगह खाली नहीं ☺️
#आजकल के दौर में साहित्य भी रईसों का काफिला बन गया है ,
निर्धन का लेख भी यूँ तन्हाई का अखाड़ा बन गया है ।#


"#बहुत पीछे रह गयी हूँ मैं
       आगे बढ़ गया है जमाना 
कारवां आज भी वहीं रुका है ,
        जहाँ मेरे साथ था यादों का अनमोल खजाना ....#
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़"
#बहुत पीछे रह गयी हूँ मैं
आगे बढ़ गया है जमाना
कारवां आज भी वहीं रुका है ,
जहाँ मेरे साथ था यादों का अनमोल खजाना ....#

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