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Thursday, 26 December 2019

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#ज्ञान गंगा (मासिक पत्रिका) अलीगढ़ में प्रकाशित #
कुछ दिनों पहले दिल्ली जाना हुआ ।बसस्टैंड पर देखा एक जवान लड़का दुकानदार को भद्दी भद्दी गालियां सुना रहा था ।काफी भीड़ थी,लेकिन कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था ।दिल्ली जैसी भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी को किसी से मतलब भी कहाँ होता है ।मैं वहीं से कुछ खाने पीने का सामान ले रही थी,शाम के 4 बजे थे ,अचानक शोरगुल की आवाज सुनकर ,बाहर जाकर देखा तो हैरान रह गई । कुछ जवान लड़के आपस मे लड़ रहे थे और एक दूसरे को एक से बढ़कर एक गालियां सुना रहे थे । ऐसा लग रहा था जैसे उन लड़कों ने कोई गलती नही की बल्कि उनकी माँ और बहन उस गलती की जिम्मेदार थी । ऐसा क्यों होता है जब कोई मर्द गलती करता है और उसकी सजा उसकी माँ बहन को दी जाती है ।जिसने जन्म दिया ,पाल पास कर बड़ा किया ,क्या उसके नसीब में दूसरों से गंदी गालियां सुननी होती हैं ?दो आदमियों की लड़ाई के बीच माँ बहन कहाँ से आती है और क्यों ।?यदि आपको गाली देने का बहुत मन करता है तो दो न उस पुरुष प्रधान समाज को जिसने हर अच्छे काम में खुद को ऊपर रखा और बुरे काम में स्त्री को । क्यों एक मर्द कहलाने वाला कमजोर इंसान माँ बहन को मोहरा बनाकर उनको गालियां देता है ?क्या दूसरे की
माँ बहन की कोई इज्जत नहीं ?यदि एक बेटा और भाई होकर भी आपकी सोच इतने निम्न स्तर पर गिर सकती है तो धिक्कार है आपकी इतनी गंदी सोच पर ।आप न किसी के बेटे कहलाने लायक हैं और न ही भाई ।आज हमारा समाज कहाँ से कहाँ पहुँच गया लेकिन आज भी एक स्त्री के लिए समाज की अवधारणा में कोई अंतर नहीं आया । एक स्त्री होने के नाते मेरी आप सभी से हाथ जोड़कर विनती है कृपया अपनी इस बुरी आदत को आज से और अभी से बदल दीजिए, यदि आप सच में अपनी माँ बहन और स्त्री समाज का आदर करते हैं ।देखने और कहने में ये बात बहुत छोटी है लेकिन देश की आधी आबादी के लिए बहुत बड़ा संम्मान है । आप शुरुआत तो कीजिये ,फिर देखिए कैसे एक नए दौर का आगाज होता है ।
#सम्मान की हकदार है ,
वो आदर की पात्र है ।
कोख में रखकर जिसने ,
दिया जीने का अधिकार है ।
मत करो अपमान उसका ,
यूँ सरे राह गालियां देकर ।
प्यार है गर अपनी माँ से ,
क्यों दूजे की माँ से तकरार है ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

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